– मेरी त्रुटीया अपनो को पहचानने में –
मेरी त्रुटिया अपनो को पहचानने में –
मेरे अपने है है खून का रिश्ता इनसे मेरा,
भले ही यह आज हमे ना समझे पर कभी तो समझेंगे यार,
सोचा था की समय के साथ सब कुछ बदल जाता है,
बदल भी जाएगा संयुक्त परिवार की अवधारणा वाला में हो जाएगा कामयाब,
देंगे मेरा वो साथ और हो जाएंगे मेरी विचारधारा के साथ,
अपनी मस्ती में डूबे रहे अपने मेरे और मेरा परिवार,
आज में जब मेरी इन त्रुटियों को देखता हु,
वेदना से भर जाता हु,
आंखो में आंसू लाता हु,
खुद को खुद से धिक्कारता हु,
क्यों की मेने ऐसी त्रुटिया,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान