Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 1 min read

मेरी तन्हाई

भरी महफ़िल में हम तन्हा रह गए
भीड़ लगी है चारों तरफ हमारे
हम किसी के ना हो सके
ना जाने किस को ढूंढे हैं ये दिल
इस महफ़िल में हम तन्हा ही रह गए!

मेरी हँसी को तो देख लिया
खुश हूँ मै तुम बिन अब
हँसी के पीछे इस दर्द को ना देखा किसी ने
हँसते रहे हम अपने गमो को छुपाकर
इस इंतजार में कि कभी हम बता पाए तुमको
कैसे छुपाते हैं हम इस जहाँ से दर्द अपना!

तुमको बेवफा का इल्जाम ना देंगे
अपने ही प्यार को रुसवा ना करेंगे
तु ये बोल कर गया की वापस आऊंगा
इस इंतजार में जी रहे हैं आज भी हम
आज भी भरी महफ़िल में हम तन्हा ही रह गए!

Language: Hindi
183 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चलो हम सब मतदान करें
चलो हम सब मतदान करें
Sonam Puneet Dubey
#आज_का_मत
#आज_का_मत
*प्रणय प्रभात*
पृष्ठ बनी इतिहास का,
पृष्ठ बनी इतिहास का,
sushil sarna
कभी जिम्मेदारी के तौर पर बोझ उठाते हैं,
कभी जिम्मेदारी के तौर पर बोझ उठाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
Red Hot Line
Red Hot Line
Poonam Matia
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
Neelam Sharma
कौन है वो ?
कौन है वो ?
Rachana
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
"असफलता"
Dr. Kishan tandon kranti
तन पर हल्की  सी धुल लग जाए,
तन पर हल्की सी धुल लग जाए,
Shutisha Rajput
साल भर पहले
साल भर पहले
ruby kumari
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट (कुंडलिया)*
*आई सदियों बाद है, राम-नाम की लूट (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
Manisha Manjari
ऑन लाइन पेमेंट
ऑन लाइन पेमेंट
Satish Srijan
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
ऐसी थी बेख़्याली
ऐसी थी बेख़्याली
Dr fauzia Naseem shad
23/156.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/156.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
पूर्वार्थ
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
Mukta Rashmi
नारी का बदला स्वरूप
नारी का बदला स्वरूप
विजय कुमार अग्रवाल
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
Basant Bhagawan Roy
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मै ही रहा मन से दग्ध
मै ही रहा मन से दग्ध
हिमांशु Kulshrestha
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
Phool gufran
रातें भी कटी हैं करवट बदलते हुए,
रातें भी कटी हैं करवट बदलते हुए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
gurudeenverma198
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
अच्छा खाना
अच्छा खाना
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
Loading...