मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ
मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ।
बस सावन में अपने घर आ जाओ।।
तुम बिन सावन सूना सा लगता है,
मेरा जिया तुम बिन नही लगता है।
जब आ जाते हो मेरे पास तुम,
ये सारा जग अपना सा लगता है।
अब मिलने में जरा भी देर न लगाओ,
मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ।।
जब तुम नही आते मेरा दिल धड़कता है,
गम पसीना बन तन बदन से टपकता है।
और जब तुम आ जाते हो मेरी बाहों में,
दिल मेरा गुड़ियों की तरह मटकता है।
अब तुम अपनी गुड़िया के पास आ जाओ।
मेरी तडपन अब और न बढ़ाओ।।
प्यासा है मेरा तन अब तुम बिन अब,
इस सावन से प्यास बुझती कहां अब।
आ जाते तो प्यास बुझ जाती मेरी,
नही तो भटकेगा मेरा तन मन अब।
इस प्यास को आकर अब तुम्ही बुझाओ,
मेरी तडपन को अब और न बढ़ाओ।
बस सावन में अपने घर आ जाओ।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम