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ये पढ़ कर आप सरकार की आलोचना नही कर पाएंगे कि लॉक डाउन में शराब के ठेके सरकार ने पहले ही क्यो खोल दिये थे हमारी सरकार को ये सब अहसास था कि राजस्व कैसे बढ पायेगा”। आइए तो जाने राजस्व बढ़ाने का फार्मूला।
शराब की एक बोतल सिर्फ शासन को ही राजस्व नही देती बल्कि सोडा,कोल्डड्रिंक,पानी बोतल उद्योग,डिपोजेबल गिलास,फूड इंडस्ट्री,पोल्ट्री उद्योग,चखना नमकीन गृह उद्योग जैसे अनेक कार्य शराबी लोगो पर निर्भर हैं ओर इनके द्वारा भी तो राजस्व मिलता हैं।सड़क पर बोतल रैपर आदि छोड़कर कचरा बीनने वाले को रोजी रोटी देते हैं।अगर ज्यादा पी ली हो तो दवाखाना जाते है ओर दवा मेडिकल से लेते हैं।झगड़ा होने पर पुलिस थाना वकील करना कोर्ट कचहरी वालो को काम मिलता हैं शराब से जुड़े इस पूरे अर्थ चक्र को ठीक से समझें ओर शराबी की आलोचना बिल्कुल भी न करे बल्कि उनका सम्मान करें कि उनके कारण अर्थ व्यवस्था मजबूत होती हैं।
जय हिंद जय भारत