मेरी गज़ल है वो
मैं तो सिर्फ शेर कहता हूं
वो खुद मुकम्मल गज़ल है
फिर भी वो आज मेरी है
ये ऊपर वाले का फ़ज़ल है।।
जब भी देखता हूं आंखें उसकी
उसमे सागर नज़र आता है
देखता हूं उसका चेहरा मैं जब
उसमे सारा जहां नज़र आता है।।
महक जाती है ये हवाएं भी
उसकी खुशबू से आस पास
मचल जाता है ये दिल मेरा
जब वो होती है आस पास।।
दिल बहुत करता है मेरा
साथ उसके रहूं हमेशा मैं
जाना होता है जब कहीं,
दिल उसके पास छोड़कर
ही जाता हूं हमेशा मैं।।
है ताज़गी उसमे सुबह
की हवाओं के जैसी
महकती है वो हरपल
कस्तूरी मृग के जैसी।।
यूं आकर मेरी ज़िंदगी में उसने
बना दिया ज़िंदगी को, जन्नत के जैसे
मेरे दिल को सुकून देती है वो ऐसे
सुरीली गज़ल भाती है कानों को जैसे।।
है वो प्यार मेरा, अब जीवन मेरा
हमसफर जीवन भर का मेरा
साथ चलना है हर पथ पर उसके
है यही अब जीवन का प्रण मेरा।।