मेरी ख्वाहिश – मेरी तमन्ना
मेरी ख्वाहिश मेरी तमन्ना
मेरी उम्मीदों का सपना
हर पल, हर क्षण यही चाहूं मैं
पूनर्जन्म में मेरी बनना
घर समाज के ढ़ेरों बंधन
इस जन्म में सह लेंगे हम
पूनर्जन्म में जब आओगी
करीब-ए-दिल मुझे पाओगी
जो भी कहना होगा मुझसे
दिल की बातें बिल्कुल कहना
मेरी ख्वाहिश मेरी तमन्ना
मेरी उम्मीदों का सपना
साथ हमारे हुआ है जैसे
क्यों अक्सर होता है ऐसे
चाहत कोई गुनाह नहीं
गर हो रिश्ते की राह सहीं
अब दुनिया का रिवाज बन गया
चाहत पर पाबंदी करना
मेरी ख्वाहिश मेरी तमन्ना
मेरी उम्मीदों का सपना
चाहत के फिर फूल खिलेंगे
शायद हम उस दिन न होंगे
तब दुनिया अफसोस करेगी
एक नया इतिहास रचेगी
इतिहास के पन्नों-पन्नों पर
यही कहानी होगा अपना
मेरी ख्वाहिश मेरी तमन्ना
मेरी उम्मीदों का सपना
हर पल, हर क्षण यही चाहूं मैं
पूनर्जन्म में मेरी बनना
✍️_ राजेश बन्छोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024