Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2020 · 1 min read

मेरी ख्वाहिशें…

तू मेरे ख़्वाबों-खयालों की मलिका,
मुझे हक़ दे अपनी ख़िदमत का,
मैं रहना चाहता हूँ बनकर तेरा,
साया बना मुझे अपने हालात का ।

हर तरफ़ चर्चा है तेरी इस जहाँ में,
इसका मुझे कोई गिला नहीं,
मशहूर मैं भी हो जाऊँ तेरी वज़ह से,
सहारा गर मिले तेरी सिफ़ारिश का ।

मैं ढल जाऊँ तेरे प्यार में,
ढलते हुए दिनकर की तरह,
उदगम हो मेरा रवि की किरणों से,
भरोसा गर मिल जाए तेरे इज़हार का ।

अब तो बस तेरी चाहत है,
लहू का क़तरा भी तन्हा तड़पता है,
“आघात” करेगा इंतज़ार तेरा गौधूलि तक,
न ले तू इम्तिहाँ उसकी मोहब्बत का ।

Language: Hindi
4 Likes · 5 Comments · 542 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
क्या....
क्या....
हिमांशु Kulshrestha
*शादी के खर्चे बढ़े, महॅंगा होटल भोज(कुंडलिया)*
*शादी के खर्चे बढ़े, महॅंगा होटल भोज(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
ruby kumari
हर पल
हर पल
Neelam Sharma
रिस्ता मवाद है
रिस्ता मवाद है
Dr fauzia Naseem shad
3093.*पूर्णिका*
3093.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ तेरा ना होना
माँ तेरा ना होना
shivam kumar mishra
प्राण- प्रतिष्ठा
प्राण- प्रतिष्ठा
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
जय जय राजस्थान
जय जय राजस्थान
Ravi Yadav
तुम नहीं आये
तुम नहीं आये
Surinder blackpen
*प्यार या एहसान*
*प्यार या एहसान*
Harminder Kaur
नारी
नारी
विजय कुमार अग्रवाल
बिन बोले ही  प्यार में,
बिन बोले ही प्यार में,
sushil sarna
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
शेखर सिंह
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
'हाँ
'हाँ" मैं श्रमिक हूँ..!
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कृतघ्न व्यक्ति आप के सत्कर्म को अपकर्म में बदलता रहेगा और आप
कृतघ्न व्यक्ति आप के सत्कर्म को अपकर्म में बदलता रहेगा और आप
Sanjay ' शून्य'
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*तुम अगर साथ होते*
*तुम अगर साथ होते*
Shashi kala vyas
सुखम् दुखम
सुखम् दुखम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
चुनाव का मौसम
चुनाव का मौसम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरे देश की मिट्टी
मेरे देश की मिट्टी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
फूल
फूल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अहसास
अहसास
Dr Parveen Thakur
प्रेम हैं अनन्त उनमें
प्रेम हैं अनन्त उनमें
The_dk_poetry
प्रकृति
प्रकृति
Mukesh Kumar Sonkar
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
प्रेमचंद ने ’जीवन में घृणा का महत्व’ लिखकर बताया कि क्यों हम
प्रेमचंद ने ’जीवन में घृणा का महत्व’ लिखकर बताया कि क्यों हम
Dr MusafiR BaithA
Loading...