मेरी खामोशियों
मेरी खामोशियों
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मेरी खामोशियों तुझसे अफसाने कहेंगी ,
मजबूरियां मेरी तुझको ही चाहेंगी।
तन्हां ही जी लेंगे ,पर! तुझको
अपने सपनों में पायेंगे ।
भूल कर भी हम तुमको ,
दिल से नहीं भुला पायेंगे ।।
खामोशियों तुझसे अफसाने कहेंगी—-
जीवन में हर पथ पर,
तुमने साथ दिया ।
जीवन का सफर जब हमने पार किया,।।
कदम-कदम पर तुम देना मेरा साथ ,।
मुझमें हे तुमसे ही साहस ,
थामे रखना सदा मेरा हाथ ।।
हर सुख दुःख के साथी हो तुम ,
मेरी हर पीड़ा को समझें हो तुम।
जब कभी भी दिल भर आता,
तुम ही आकर हिम्मत देते।
मेरा सहारा बन कर तुम,
हमसफ़र तुम मेरे बन जाते।।
नदियां की धार बन में ,
सागर में समा जाती ।
तुझमें खोकर में , बहुत खुश हो जाती।।
खामोशियां मेरी तुझसे,
अफसाना कहेंगी ———–
सुषमा सिंह *उर्मि,,