# मेरी कुछ क्षणिकाएं ……
” मेरी कुछ क्षणिकाएं ”
(१)
“देश
काल
परिस्थिति”
“अधपकी
नीति
देती
संक्रमण
को
चुनौती”
“नेताओं को
ना सत्ता का
लोभ होता,
आयोग
इतनी बेवकूफ
ना होती”
(२)
कौन पक्ष,
कौन विपक्ष ?
समय विकट
यह प्रश्न यक्ष ।
कहने में कुछ,
करने में कुछ
यहां सभी दक्ष ।
(३)
टीके
के लिए
लाइन,
ऑनलाइन
मिलता
वाइन ।
बढ़ता आक्रोश
जनता त्रस्त,
नेता है मस्त
लड़खड़ाती व्यवस्था को,
कहते फाइन ।
(४)
बेबस
मानव,
मरती
मानवता
सब अंधे-बहरे
मूक-मौन ।
दुख के
इस घड़ी में,
खुशियां ,
लाएगा कौन…..?
(५)
आज कोई
ईद मनाए,
कोई मनाए,
अक्षय तृतीया ।
बेबसी उन
लाचारों की,
कोई क्या जाने ?
जिनके रिश्तो को
वायरस ने लील लिया ।
चिंता नेताम “मन”
डोंगरगांव