मेरी कविता
तेरे हर लफ्ज़ कि महफ़िल पर में हूँ…..
तेरे हर दिल के दर्द में में हूँ…..
तू रेत के जैसी रेतीली सी,
में हवा के जैसे हवाई सा,
तू चाँद के जैसे चाँदनी सी,
में तारों के जैसे तारा सा,
तेरे लफ्ज़ कि पहचान हूँ…..
तेरे अल्फाज़ का अरमान हूँ……
तू मिठाई के जैसे मीठी मीठी सी,
में इमली के जैसे खट्टा खट्टा सा,
तू आवाज़ के जैसे दरिया सी,
में समंदर के जैसे खारा सा,
तू फलों के जैसी नाज़ुक सी,
में पंखुड़ियों के जैसे पंख फैला हुआ सा,
“हार्दिक महाजन”