मेरी कविता
कविता तो तुम में है
मैं तो बस
शब्दों को पिरो रहा हूं।।
तुम्हारे चेहरे की सुंदरता को
आंखों से चुराकर
कागज़ पर उकेर रहा हूं।।
तुम्हारी खूबसूरती को
बयां करके
कलम से लिख रहा हूं।।
तुम्हारे होंठों की हंसी को
मैं चुराकर
अपने शब्दों में बांध रहा हूं।।
इन जुल्फों की छांव में
बैठकर मैं
नए सपने बुन रहा हूं।।
मैं तो बस तुझे देख रहा हूं
लोग कहते है
मैं कोई कविता लिख रहा हूं।।
देखता हूं तेरी आंखों में जब
लगता है जैसे
मैं गहरे समंदर में तैर रहा हूं।।
सुनता हूं जब तेरी धड़कनों को
करीब आकर
मधुर संगीत का आनंद ले रहा हूं।।
तुम्हारे रूप से सुसज्जित है
मेरी कविता
जिसे देखकर मैं जी रहा हूं।।
हर कोई पसंद करें मेरी कविता
तेरी सुंदरता की तरह
बस इसी उम्मीद में लिख रहा हूं।।