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27 Nov 2018 · 1 min read

मेरी कविता

बदल रहा मौसम भी खुशनुमां हैं,
बादलों के सायों ने घेर रखा,
ठंड सी ठंडी हवाओं का बसेरा,
बागों में फुलों के रंगीन नज़ारें,
गुनगुनाते भवरों की गूँज हैं…..
सूंदर-सूंदर तितलियों के रंगीन नज़ारें हैं…..
ठंडे-ठंडे मौसम में ओस का बसेरा हैं….
हरे-भरे आँगन में हरियाली का नज़ारा हैं…..
“हार्दिक महाजन”

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 413 Views
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