मेरी कविता
ज़िंदगी कि देन हैं,
घड़ी वक्त की सेन हैं,
कब आ कर रुक जायें,
ये तो उसकी रेन हैं,
काफ़िलानों से गुज़रें ये लम्हें आपके हज़ार हैं,
कभी वक्त का कभी अपना ये सब उसका बनाया संसार हैं…….!!
ज़िंदगी कि देन हैं,
घड़ी वक्त की सेन हैं,
कब आ कर रुक जायें,
ये तो उसकी रेन हैं,
काफ़िलानों से गुज़रें ये लम्हें आपके हज़ार हैं,
कभी वक्त का कभी अपना ये सब उसका बनाया संसार हैं…….!!