~~~मेरी कविता–दुनिया में कोई रिश्ता सच्चा नहीं~~~
आज बहुत कुछ लिखने का मन हो गया
कि क्या ममैं सच लिखने जा रहा हूँ, या
कहीं ऐसा तो नहीं कि, मेरा जमीर मर
गया है, इन झूठे रिश्तों के लिए,
आज मेरा भी मन भर गया है…..
बेशक भगवान् की रचाई लीला में
सब रिश्ते महान हैं, माँ बाप
एक बच्चे के लिए शायद सब की
नज़रों में भगवान्बि हैं , ना किसी लालच
के और न किसी लोभ में गुलजार हैं…
पर यह रिश्ता बेशक ममता का हो
बाप के द्वारा कुछ कठोर सा हो
पर सब के बीच एक ममता है,
धन दौलत का एक रिश्ता है
इस से ज्यादा बढ़कर कुछ नहीं है ..
पढाते हैं लिखाते हैं,सब कुछ करते हैं
बेशक ऊँचा संतान को बनाते हैं,
पर सब के लिए वो मोह ममता है
घर चलाये और सारे रिश्ते निभाए
पर मेरी नजर में लोभ का रिश्ता है..
शादी करते बहू लाते, बेटी देते दामाद लाते
बहु से नाता उस के दहेज़ से है
और बेटी के लिए वर खूब धन वाला चाहिये
यह हर माँ बाप देखते दुनिया में बेटी के लिए
यह लोभ नहीं तो क्या ममता है ??
जब तक थे माँ बाप तो वो अपना हुकुम
औलाद पर हर वक्त चलाते रहे
जब आ गयी पत्नी तो उस के द्वारा
सारा घर द्वार उसके हुकुम से चले
लड़के के लिए सच यही मरना है…..
अब तक जो देखा लड़के का पल पल मरना है
बहु से कुछ कहे तो माँ परेशां कर देती है
माँ से कुछ कहे तो बीवी तेवर दिखाती है
पीस जाता है वो दोनों पाट में
सब का अपना यहाँ लोभ का नाता है ….
सारे रिश्ते झूठे हैं दुनिया में आजमा के देख लो
अगर गर्म है जेब आपकी तो तब जाकर देख लो
और एक बार खाली जेब के साथ भी निभा के देख लो
खुद पता चल जाएगा कि रिश्ते कितने गूढ़ हैं,
भरते रहो मुंह सबका ये दुनिया की रीत है…
प्यारा है, सच्चा है, अगर रिश्ता तो
वो आपकी आत्मा का उस का कोई मोल नहीं
बिना काम, क्रोध, मद, मोह , अःहंकार के
ले चलती वो उस ओर है, जहाँ नहीं जा पाया
लेकर सारी लोभ लालच की यह डोर है…
जय सिया राम, जय श्री कृष्णा
जय मेरे शिव शम्भू, सच्चे पातशाह
अजीत कुमार तलवार
मेरठ