मेरी कविता।
मेरी कविता शब्दों की सोलह श्रृंगार नहीं है,
मेरी कविता शिघाशन की जय – जयकार नहीं है,
मेरी कविता उन महलों की मीठी रश पान नहीं है,
मेरी कविता झूठे लोगो के साथ नहीं है,
मेरी कविता नोटों की तो तलबगार नहीं है,
मेरी कविता जिस्म फरोशी का व्यापार नहीं है,
मेरी कविता खाली रस्तो की तरह सुनसान नहीं है,
और,
मेरी कविता कायरता का गुणगान नहीं है,
मेरी कविता सच्चाई का ही सत्कार करेगी,
मेरी कविता बिन बोले ही दुश्मन पर वार करेगी,
मेरी कविता चट्टानों से टकरा के खुद टंकार करेगी,
मेरी कविता सच्चाई का हाथ पकड़ कर जीवन पार करेगी,
मेरी कविता वीरों की वीरता का सम्मान करेगी,
मेरी कविता वीरता का ही बखान करेगी,
मेरी कविता लोगों के दिल में देश प्रेम की आग भरेगी,
मेरी कविता सच्चाई को ही स्वीकार करेगी,
और,
मेरी कविता देश प्रेम की ही सिर्फ बात करेगी।