मेरी कल्पना
मेरा आसमां तुम ,तुम ही मेरी ज़मी,
फिर मुझे किस बात की है कमी ।
हर दम हर पल साथ है, एक दूजे के खास हैं ,फिर भी न जाने कितनी बातें रही अनकही ।
मुझे तेरा, तुझे मेरा ख्याल है ,मन से मन का मिलन,
बिन कहीं हो जाता सारा काम है ,
तुझसे ही मेरी ये सांसे चली ।
कुछ अलग है, ये रिश्ता ना कोई बंधन ,ना कोई मिलन की तड़प, ना कोई जुदाई का गम ,ना कोई उम्मीद ना कोई आशा,
बस हर प्रार्थना एक दूजे की सलामती की रही।
ना टूटेगा कभी ये रिश्ता जो कभी जुड़ा ही नहीं ,
उसका मेरे लिए वो प्यार ,मेरी उसके लिए फिक्र ,
ये सब करते-करते खबर ही ना रही कब ये उम्र बीत चली।
याद भी नहीं अब वो पल ,कब वो मुझसे और कब मैं उससे मिली
ये मेरा ख्वाब, मेरी कल्पना कब हकीकत बनेगी,
कुछ खबर नही,