मेरी कलम
मेरी कलम है कोई बेमेल सी
कश्मीरी सरकार नही
वो कोई ऐसी बात नही करती
जिसका इंसानियत से सरोकार न हो
इसमें रंग है देश भक्ति के
राग है मानस प्रेम के
छंद है वीरता के
दोहे है दिल की तपिश के
असरार है औरत की गरिमा के
पुरुष मे छिपे प्रेम भागिमा के
देहरी के दीपक सी कुछ गरमी है
औस की बूंद सी नरमी है
धरती सा जमीर है
आसमा सा उठाव है
सनातन संस्कृति से जुड़ाव है
गेर-मानवीय प्रकृति से कटाव है
और ज्यादा शब्दों मे क्या कहूँ
बड़ी शिद्दत से मेरे अक्सर खामोश से रहने वाले
जज्बातों का कागज पर उत्तरा लफ्ज़ो का बहाव है ।।