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6 Aug 2020 · 1 min read

मेरी कलम

क्या करूँ मेरी कलम गर प्यार लिखती है
इस बुढ़ापे में अगर श्रृंगार लिखती है।

है बहुत ही खूबसूरत मेरी महबूबा।
आइने की ही तरह दीदार लिखती है।।

मेरे गीतों पर वो नाचे जब मयूरी सी।
रेशमी पाजेब की झन्कार लिखती है।।

राज कोई भी छुपाना है नहीं मुमकिन।
हाल ए दिल मेरा सनम हर बार लिखती है।।

अब नहीं लगता मेरा मन दुनिया दारी में।
खूबसूरत सपनों का संसार लिखती है।।

एक दूजे के लिये हम आये धरती पर ।
हमको राधा कृष्ण सा अवतार लिखती है।।

बन गया चाहत में उसकी मैं भी कवि यारों।
ज्योति का दिल से सदा आभार लिखती है।।

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

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