प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
यौम ए पैदाइश पर लिखे अशआर
आशा का दीप
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
मल्हारी गीत "बरसी बदरी मेघा गरजे खुश हो गये किसान।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र