मेरी उम्र का प्यार भी
मेरी उम्र का प्यार भी
बस आंखों तक रह गया ।।
था अकेला तनहा जीवन
विरह में सब शामिल था ।
मिला मुझे फिर नया यार
वो भी मुझसा बिरला था ।।1।।
उसकी पहली झलक मिली
मैं सुध–बुध सारी खो गया ।
सारी भीड़ मेरे चारों ओर
फिर भी नजरों से बोल गया।।2।।
उसको पसंद था मेरा आना
नजर आते ही मुस्कुराना ।
मेरी उम्र ही क्या थी उसे पाने की
चुपके से फिर छुपके जाना ।।3।।
प्रश्नों ने सीमाएं लाँघी
मासूमियत ही सबसे भारी ।
संभाल लिया खुद को मैंने
तेरे उन आंखों से नारी ।।4।।