मेरी अफ़वाह
सुरत तो बड़ी भोली थी ,मगर मासूम न थे वो
लबों पर तो थी ख़ामोशी ,मगर ख़ामोश न थे वो
सुनते न किसी बात को , पर चलते रहे हर चाल को।
अरे हम तो मदहोश थे,
अपने ही गुरूर पर ,
पर ज़माने में उड़ गई अफ़वाह
हम दीवाने हैं किसी शबाव के।।
✍️रश्मि गुप्ता @ Ray’s Gupta