मेरा स्वर्ग
मैंने अपना स्वर्ग खुद गढ़ा है
कभी निकल पड़ी
अकेले सैर के लिए
कभी अनदेखा किया
दूसरों के ताने
कभी शांत पड़ी रही
नहीं किया विद्रोह
कभी बतियाया
अजनबियों से बेझिझक
कभी नदी किनारे
घंटों बैठी रही
फिर लौटी देर रात
यह मेरा स्वर्ग है
जो दुनिया की नजरों में
अपने अर्थ बदल देता है।