मेरा सफ़ीना
मेरा दिल है खानाबदोश,
भटकता रहता है दरबदर!
कभी महफ़िल-कभी तन्हाई में
डालते हुए एक पैनी नज़र!
अपनी धड़कनों के राग से
जो मुझे जगाए ख़्वाब से!
कल के बीहड़ से निकाल कर
जो मुझे मिलाए आज से!!
वही मेरा यार होगा!
वही मेरा प्यार होगा!!
उसी के हाथों मेरा सफ़ीना
डूबेगा या पार होगा!!