मेरा सपना
****** मेरा सपना ******
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मैंने भी देखा है सपना,
वो सपना हो मेरा अपना।
पलको में है ख्वाब सजाए,
सच हो वो सोची कल्पना।
चलता न कहीं कोई बहाना,
नहीं है कोई दर ठिकाना।
फूलों भरे अरमान खिलते,
कलियों को है खूब खिलाना।
नभ से ऊँचे मेरे सपने,
गगनचुंबी सी उड़ान उड़ाना।
पंख पखेरू होनै को आतुर,
मचल रहा है दिल दीवाना।
ख्वाहिशें तो है छोटी छोटी,
अमलीजामा है पहनाना।
पा लिया जीवन में सब कुछ,
अब न कोई अपना बेगाना।
मनसीरत ने आंखों में देखे,
मुश्किल है मंजिल को पाना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)