मेरा सद्ग्रन्थ………तेरी जीवन रीत
जिंदगी प्रीत है , साजन संग जुड़ी रीत है
बेअदब ही सही निभाए जा रहे हो ।
उल्फत है ना जाने कैसी ,
साज़ फिर भी छेड़े जा रहे हो ।
यादों की तस्वीरों मे लगा ली हैं बेरंग कस्तिया ,
रत्न फिर भी प्रेम के कमाए जा रहे हो ।
चार शब्दों ने नजर अंदाज ऐसे कर दिया ,
खामोशी अपनी खुद ही उठाए जा रहे हो ।
दूजे पथिक की तुमको जरूरत थी बहुत ,
राह बदल कर भी अकेले चले जा रहे हो ।