मेरा सदग्रंथ कहे ये बारंबार
ये अश्क होते मोती ,
ये नयन होता सागर ।
ये झुल्फे होती बादल ,
ये सिर होती बारिश ।
ये गाल होते गुलाब ,
ये हुस्न होता खुशबु ।
मगर ये होना सका ,
लफ्ज़ो की खामोशी ने ,
हजारों मोहब्बत की कहानी ,
बेबस कर दी ।।
ये अश्क होते मोती ,
ये नयन होता सागर ।
ये झुल्फे होती बादल ,
ये सिर होती बारिश ।
ये गाल होते गुलाब ,
ये हुस्न होता खुशबु ।
मगर ये होना सका ,
लफ्ज़ो की खामोशी ने ,
हजारों मोहब्बत की कहानी ,
बेबस कर दी ।।