मेरा संघर्ष
मै वह इंसान हूँ,
जिसने कदम- कदम पर
पत्थर (धोखा)खाया है।
चाहे खुशी मिले या गम ,
हमें हमारी मुकद्दर ने,
सिर्फ चोट पहुँचाया है।
मैं उस पेड़ की भाँति हूँ,
जिसने फल देने पर पत्थर,
और सुखने के बाद कुल्हाड़ी
की चोट खाया है।
मै वह इंसान हूँ,
जिसने कदम- कदम पर
पत्थर (धोखा)खाया है।
चाहे खुशी मिले या गम ,
हमें हमारी मुकद्दर ने,
सिर्फ चोट पहुँचाया है।
मैं उस पेड़ की भाँति हूँ,
जिसने फल देने पर पत्थर,
और सुखने के बाद कुल्हाड़ी
की चोट खाया है।