चल -चलों
लेकर मशाल हाथ में
चल चलो, चल चलो l
अलोकित होगा पथ
तिरोहित होगा तम
सौभाग्य जागेगा
दुर्भाग्य भागेगा l
लेकर मशाल हाथ में
चल चलो, चल चलो l
जन – जन जागेगा
जन – जन जानेगा
क्या मांग है हमारा
सारा शहर जानेगा l
लेकर मशाल हाथ में
चल – चलो, चल – चलो l
अपनों को संग – साथ लेकर
गैरों को समझा -बुझाकार
हाथों से हाथ मिलाकर
बोलो -‘महात्मा गाँधी की जय ‘ l
लेकर मशाल हाथ में
चल चलो, चल चलो l
डरों नहीं, झूकों नहीं
लड़ों नहीं, अरों नहीं
मंजिल अब दूर नहीं
थोड़ी ही दूर हैं अभी l
लेकर मशाल हाथ में
चले -चलो, चले -चलो l
लोकतंत्र बचाना है
भरष्टाचार मिटाना है
दहेज़ मिटाना है
धर्मान्तरण रोकना है… l
लेकर मशाल हाथ में
चले -चलो चले चलो l
देकर अपना स्मार -पत्र
अधिकारी को समझाना है
बातें भी कुछ करनी है
फिर अपने घर जाना है l
लेकर मशाल हाथ में
चले – चलो, चले – चलो l
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏@रचना -घनश्याम पोद्दार
मुंगेर