मेरा प्यारा अंगना
है बच्चे
अंगना की शोभा
खेले जब
आँगन में
खुशियाँ भर दे
जीवन में
बिटियां का
आँगन
गुड्डे-गुड़िया
का ब्याह
बेटे का
अंगना
उछल-कूद
बनते घर
और पुल
अंगना दादी का
बने पापड़
और अचार
बैठे बुजुर्गों
सहित दादा जी
गप्प- गोष्ठी का
है उनका आँगन
सखियों सहित
झूले झूला
तोड़े इमली
अमराई
हरा भरा
अंगना है
घर की शान
सुख –
दुःख का
गवाह है
आँगन
आँगन बिन
अधूरा है घर
होते जा रहे
घर छोटे- बहुमंजिले
खोते जा रहे
आँगन जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल