मेरा पुनर्जन्म
आज भी .याद है वो पल मुझको अपनी कोख से जब जाया था तुझको
उस वक्त केवल तू नहीं जन्मी थी
जन्म हुआ था ऐक माँ का भी
दरअसल.मेरा पुनर्जन्म था वो
रात भर की असहनीय पीड़ा पर
भारी था तेरे दीदार का इन्तज़ार
तेरी पहली किलकारी के साथ
अपने पूर्ण होने का अहसास
. हुआ था उसी पल पहली बार
गुलाबी मलमल में लिपटे
मक्खन सी तेरी मखमली काया
परिचारिका ने तुझे मेरी बगल में लिटाया
सम्पर्क मे आते ही तूने मेरी
कनिष्ठा उंगलि को मद्धम सा दबाया
सच उसी वक्त तूने मेरे अन्तस को पिघलाया
वो तरल आज भी मेरे ह्रदय में
तरंगित हो हिलोरें मारता है
तेरी वो पहली छुवन आज भी
उतनी ही मादक और ताज़ा है
जब भी तुझे सोचती हूँ
वो ही नैसर्गिक आनन्द आता है
आज भी .याद है वो पल मुझको
अपनी कोख से जब जाया था तुझको
उस वक्त केवल तू नहीं जन्मी थी
जन्म हुआ था ऐक माँ का भी
दरअसल.मेरा पुनर्जन्म था वो .
अपर्णाथपलियाल”रानू”
२५.०२.२०१७