मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा
मुझको तूफान से बिल्कुल डरने नही देगा।
मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा।।
मुझको किसी चिंता में,वो तपने नही देगा,
मेरे दिल की आरजू को,वो मिटने नही देगा
मैं जानता हूं,वो मेरे लिए,वो कुछ भी कर जायेगा,
आई जो मृत्यु मेरी तो,वह मृत्यु से लड़ जायेगा ।।
जब तक पिता साथ है,मुझे और क्या भला चाहिए,
पिता देवता है जमीं का,ये कभी न भूलना चाहिए,
एक दीप मेरे मन में जो,आशाओं का प्रज्वलित हुआ,
मुझे मालूम है,वो उसको,कभी बुझने नही देगा ।।
मुझको तूफान से बिल्कुल डरने नही देगा
मेरा पिता! मुझको, कभी गिरने नही देगा।।
मुझको राजकुमारों सा,पाला है उसने,
खुद से भी ज्यादा, मुझे चाहा उसने।
मेरे जीवन को खुशियों से, सजाया है उसने,
मुझको आज इस काबिल, बनाया है उसने,
खुद नही खाया मुझको, खिलाया है उसने,
मुझे डांट कर भी स्नेह,दिखाया है उसने,
मुझ पर कितना भरोसा,जताया है उसने,
इंसान परखने का हुनर, सिखाया है उसने,
मुझको अंधेरों से वो,कभी घिरने नही देगा,
मुझे मंजिल से पहले,वो रुकने नही देगा।।
मुझको तूफानों से बिल्कुल डरने नही देगा
मेरा पिता! मुझको कभी गिरने नही देगा ।।
अनूप अंबर, फर्रुखाबाद