मेरा पहला स्कूल
*मेरा पहला स्कूल*
मैं छोटा सा नन्हा ,प्यारा सा गुड्डा था।
खिलौने के लिए, मां को तंग करता था।
पापा मनाने मे,हर जिद पूरा करता था।
मेरा पहला स्कूल , मां पापा ही था।
जिसने 1,2,3, अ,आ, इ सिखाया था।
फिर स्कूल में,गुरुजी से मिलाया था।
गुरुजी ने ” ईश विनय” पढाया था।
घर आने पर, मां खूब प्यार करता था।
दूध पिलाती, बालों को सहलाती ।
लोरी गाकर, मुझको मां सुलाती थी।
मेरी मां फूल है ,पापा श्री गणेश।
सबसे प्यारा अच्छा,मेरा भारत देश।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
8120587822