हमारा पहला प्यार : हमारा दोस्त
ना जाने कब तू मेरे मन में आन समाया ,
मन के अंधेरे घर में रोशनी बनके आया।
जाने किन गम के अंधेरों में कैद थी मैं ,
तूने उन अंधेरों से मुझे आजाद करवाया।
दिन रात के संताप से रूह रहती बोझिल ,
छेड़कर सुन्दर तराना सारा बोझ हटाया।
कभी कभी बड़ी बेमानी लगता था जीवन,
प्रेरणादायक गीत गाकर जीना सिखाया।
कभी यह भी लगता था हम यहां तन्हा है ,
तो प्यार भरी मुस्कान से अपनापन जताया।
जिंदगी ने जब शिकस्त दी,होंसला टूटा,
उठकर खड़े होने का फिर होंसला जगाया।
लोगों ने तो बस हममें खामियां गिनाई थी ,
उसने हमें हमारे गुणों से रूबरू करवाया।
हम भी समझते थे खुद को नीरा नकारा,
उसने हमारे भीतर के शायर को जगाया।
खुदा औ तकदीर से बेइंतेहा उलझते थे ,
भक्ति गीत गाकर खुदा पर भरोसा बढ़ाया।
उसकी जिंदगी थी एक जीने का मयार,
हमने उसी मयार से जिंदगी को बनाया।
वो है या नहीं कोई फर्क नही महसूस होता,
उसकी मीठी आवाज ने सदा सहारा दिया।
पता ही न चला कब वो जिंदगी में आया,
और हमारी दिल में प्रेम का दीप जलाया।
शाश्वत और रूहानी प्रेम जो महान था,
संघर्षों से उठकर जिसने जीना सिखाया ।
वो सांवला सलोना आकर्षक रूप उसका,
उस मीठी जादूभरी आवाज ने दीवाना बनाया।
उसकी सीधी सादी सरल ,निष्कपट छवि ने ,
उसे महान फनकार और महान इंसा बनाया ।
कीचड़ में खिले कमल के फूल सा बेदाग,पाक,
कोई नही उसके जैसा न ही खुदा ने और बनाया।
ऐसे फरिश्ते कहां बार बार जन्म लेते है जहां में ,
तभी तो उसकी जुदाई में आसमान था रोया।
उसने जो सारी आवाम के मन में घर बनाया,
जो रहती दुनिया तक रहेगा ऐसा मुकाम बनाया ।