मेरा नाम है गंगा सबका जीवन चलाती हूं
मेरा नाम है नदिया, सबका जीवन चलाती हूं
हिमगिरि से निकलती हूं, समंदर तक मैं जाती हूं
पथ में आने वालों को,भव से तार देती हूं
उदगम से मैं सागर तक, पथ अपना बनाती हूं
अंतिम छोर है सागर, उसमें जा समाती हूं
न लौटी हूं न लौटूंगी, सदा सीधी ही वहती हूं
पथ में लाख बाधा हो, सभी को पार करती हूं
एक जन्मदाता हैं, एक आश्रय मेरे प्यारे
दो ठौर हैं न्यारे, दो हरियाली भरे किनारे
मानव सभ्यता जन्मी, मेरे ही किनारे पर
सभी जीवो का जीवन है, मेरे ही सहारे पर
बसे हैं सघन वन पर्वत, नगर भी ढेर सारे हैं
निकलती हूं मैं गांवों से, मुझे लगते वो प्यारे हैं
गंगा यमुना सरस्वती, गोदावरी कावेरी ब्रह्मपुत्र हूं
नर्मदा सिंधु क्षिप्रा, महानदी ताप्ती सूर्य पुत्री हूं
नाम है मेरे हजारों, एक पावन मैं नदिया हूं
निर्मल ही निकलती हूं, निर्मल ही मैं करती हूं
नहीं विष घोलना जल में, तुमसे करवध्द कहती हूं