मेरा नाम तो गाउ माता है।
कहनें को मैं दुनियाँ में कामधेनु कहलाती हूँ…
सुनों मनुष्यों मैं तुमको अपनी व्यथा सुनाती हूँ…
वैसे तो सब कहते है मुझको अपनी
गाय माता…
मैं इंसानों के घर मे रहती हूँ।
सब कुछ चुप चाप सहती हूँ।
एक तरफ,
तो तुम सब मुझको अपनी धर्म माता कहते हो।
दूसरी तरफ मेरा ही वध करके मुझको खाते हो।
ये कैसा…
तुम सब मुझसे सम्बन्ध रखते हो।
स्वार्थ वश मुझसे नाता गढतें हो।
दुनिया से कहते हो…
गाउ माता घर मे जब रहती है।
ईश्वर से…
सुख समृद्धि तब मिलती है।
हे, ईश्वर…
इंसान हो गया देखो कितना चालू…
मैं अपने बच्चों संग उनके भी बच्चे पालूं…
जब तक रहता मेरे स्तन में दूध।
मानव करता मेरी सेवा खूब।
मेरे दूध को बेचकर,
अपना घर भी वह चलाता है।
मेरे बछड़ों को वह,
निर्दयी कसाई से कटवाता है।
हे, ईश्वर…
मानवता के लिए तूने मुझे बनाया है।
तभी तो तूने सबसे मेरा रिश्ता माता का करवाया है।
स्वार्थ तो देखो अपने मानव का…
मुझको सदस्य ना माना घर का…
क्या लगवाई,
पाबन्दी सरकार ने मेरी बिक्री पर।
मानव ने सारे रिश्ते नाते तोड़े है,
मुझसे इस पर।
मेरे बछड़ो से मानव ने कितना काम
कराया है।
कमजोर होने पर उनको चुपचाप घर से अपने भगाया है।
हाँ इस सरकार ने…
हमको कुछ सुरक्षित करवाया है।
अपने पैसोँ से…
गाँव गाँव में गौशाला बनवाया है।
लेकिन…
मनुष्यों का लोभ तो देखो उसके ह्रदय में
क्या चलता है?
गौशाला का सरकारी पैसा भी उनमें आपस मे बटता है।
कागज पर ही,
सब कुछ बस साफ सुथरा रहता है।
गौशाला में मानव हमको गंदगी में ही,
रखता है।
जैसे जैसे मेरे दुग्ध के उत्पादन में कमी होती जाती है।
मनुष्यों के लिए मेरी यतार्था भी व्यर्थ होती जाती है।
मुझसे,
मनुष्यों का बस स्वार्थ का नाता है।
फिर भी वो मुझको मानता अपनी
माता है।
हे, ईश्वर…
तूने मुझको सुख समृद्धि का प्रतीक बनाया है।
पर मनुष्यों के मन में मोह माया का लोभ समाया है।।
मेरे मूत्र से मानव ने ना जानें कितनी औषधियाँ बनाई है।
फिर भी मेरी उपयोगिता ना उनको समझ मे आई है।।
कितनी कोमल कितनी सुंदर मैं सबको लगती थी।
श्री कृष्ण की मुरली पर मैं कितना सम्मोहित रहती थी।
अब दूध से मेरे ना कोई घर में अपने माखन बनवाता है।
तभी तो,
कृष्णा भी ना अब कलयुग में आता है।
हे, ईश्वर…
मनुष्य कलयुग में कितना भरमाया है।
उसको आपका भी सम्बन्ध समझ ना आया है।
अब ईश्वर…
तेरी कलयुग की दुनियां में मुझको ना रहना है।
मानव से…
कह दो मुझको गाउ माता ना कहना है।
अब मनुष्यों से मेरा कहने का नाता है।
बस ऐसे ही मेरा नाम तो गाउ माता है।
ताज मोहम्मद
लखनऊ