“मेरा दोस्त”
एक यार था मेरा,
भोली आँखों वाला, चंचल सा बड़ा मतवाला,
दिल में उसके बस प्यार भरा, सूरत से मासूम भोला-भाला,
जब-जब होता मैं परेशां वो सब समझ जाता, आके मुझे बड़े प्यार से गले लगता,
ख़ुशी-गम सब समझता था वो, इसनां से ज्यादा जज़्बात रखता था वो,
बेज़ुबा था वो पर हमेशा सबके लिए ज़ुबाँ पे अपनी दुआ रखता था वो,
दर्द था उसको पर किसी से बोल ना पाया वो, ख़ामोशी से सबको छोड़ के दूसरी दुनियां में चला गया वो,
मेरे दिल में हमेशा ज़िंदा रहेगा वो, सिर्फ याद नहीं मेरी धड़कन बन के धड़कता रहेगा वो,
दोस्ती-प्यार रिश्ते सब एक किताब में सीखा गया मुझको जो,
एक यार था मेरा वो।
“लोहित टम्टा”