मेरा दोस्त।
तेरे दिल से मेरा नाता है,
तू ही मुझे बस भाता है,
तेरे जैसा दोस्त मिला,
दिल और नहीं कुछ चाहता है,
दोस्ती अपनी चलती रहे,
रिश्ता अपना नायाब रहे,
पूरी हो हर दुआ तेरी,
हर मोड़ पे दोस्त तू कामयाब रहे,
अपनी दोस्ती एक मिसाल हो ऐसी,
कि हर कोई इसको कमाल कहे,
मैं सुनाऊं राज़-ए-दिल तुझे,
तू मुझसे दिल का हाल कहे,
कई बरस बीत गये,
फिर भी लगती है कल की बात,
मेरे ज़हन में बिल्कुल ताज़ा है,
तेरे साथ गुज़र हर पल की बात,
तुझ बिन ये जीवन अधूरा लगे,
तुझ बिन पूरा कोई ख़्वाब नहीं,
हर मौसम में तू एक सा रहा,
ऐ दोस्त तेरा जवाब नहीं,
एहसानमंद अपने नसीब का हूं मैं,
जिसने तुझसे मिलाया था,
बड़ा हसीन वो पल था जीवन का,
जब दोस्त बनके तू आया था,
बिखरें हों उजाले ख़ुशियों के,
या हो अंधेरी काली रात,
इतनी सी बस ये दुआ है मेरी,
कभी ना छूटे तेरी दोस्ती का साथ।
कवि-अंबर श्रीवास्तव