मेरा देश , मेरी सोच
चलो अपने देश को संवारें हम
सोचें
शिक्षा कैसी हो
स्वास्थ्य क्या है
पति- पत्नी के सम्बन्ध कैसे हों
बच्चे और मां – बाप कैसे हों
हमारा व्यापर कैसा हो
बंधन और नियम क्या हों
कौन हों हमारे नेता
चुनाव कैसे हों
धर्म कैसा हो
भाषा और उसके अर्थ को सँवारे हम
हमारी सुबह कैसी हो
शाम कैसी हो
जमीं कैसी हो
आसमां कैसा हो
नदियां पहाड़ कैसे हों
जंगल और रेगिस्तान कैसे हों
और भी बहुत कुछ है
जो हमें सोचना संवारना है
यह जमीं हमारी है
और हमीं इसके देवता हैं ।
शशि महाजन – लेखिका