मेरा देश जल रहा हैं ।
मेरा भारत जल रहा है ।
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मेरा भारत जल रहा हैं आओ रे रघुराई ।
कब तक तेरी राह तकूँ मैं आँखें भी पथराई ।।
जहर घुल गया है भारत की धमनी और शिराओं में ।
षड्यंत्रों की दुर्गंध फैली इसकी सभी दिशाओं में ।।
जातिवाद का दंश सहेंगे कब तक भारत भाई ।
मेरा भारत जल रहा है आओ रे रघुराई ।।
संस्कृति और संस्कारों का नैतिक पतन हुआ है ।
आज पूर्ण विश्वासों का यूँ फिर से दहन हुआ हैं ।।
आज धर्म का ह्रास हुआ हैं नैतिकता शरमाई ।
मेरा भारत जल रहा हैं आओ रे रघुराई ।।
कुंठित मन हैं सभी जनों का आँखों में अश्रु हैं ।
मौन व्यथित हो भोग रहे हैं नत उनकी श्मश्रु है ।।
ऐसे उपद्रव और बलवों ने भारत की शान लजाई ।
मेरा भारत जल रहा है आओ रे रघुराई ।।
—☺️ पारस शर्मा “मसखरा”
झालावाड़ ( राजस्थान )
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