मेरा दिल
मेरा दिल, जिगर, मन हैं तू ,
कहाँ हैं बता नज़र आ तू ।
बहुत सताती हैं याद तेरी ,
तू ही बता कहाँ हैं तू ।
थक गई हूँ तुझे ढूँढते- ढूँढते ,
मत छुप सामने आ तू ।
नाराजगी जता डांट मुझे ,
इस कद्र ना हमें रूला तू ।
एक झलक दिखा मुझे तू अपनी सूरत ,
बेइन्तहा फिर आज मुझे हँसा तू ।
मौत की वबा है फ़ैली जमाने में ,
मर जाएंगे बिना मिलें क्या बता तू ।
पत्थर हैं तू और तेरे जज्बात भी ,
मौम बनके कैसे मिला था समझा तू।
जन्म- जन्म का साथ ना सही,
एक पल में आ कर ठहर जा तू।
शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश