मेरा तो रिश्ता था
मेरा तो रिश्ता था
वर्तमान में
पेड़ पर लगे पत्तों से
यह पत्ते जो
पतझड़ आने से पूर्व ही शायद
पेड़ से अलग होकर
टूटकर गिरेंगे और
इनके स्थान पर जो नये पत्ते
उगेंगे
मुझे उन नये पत्तों से क्या
वास्ता
दिखने में चाहे दोनों पत्ते
एक जैसे थे लेकिन
जो जाने वाला था
उसके साथ समझ लेना कि
मैं भी कहीं चली गई
दिखने में आ रही हूं बेशक
अभी पर
मैं खुद से दूर
उनके साथ कहीं किसी
अदृश्य पथ की दूरगामी यात्रा पर
निकल गई
आने वालों के साथ अब मैं नहीं
आने वाली
कोई कितना भी समझाये कि
समय के साथ समझौता करना
चाहिए लेकिन
प्यार की जो भावना उनके प्रति
पल रही थी मेरे मन में
उनके चले जाने से
प्यार में न कोई कमी
न प्यार करने वाले
दिल और आत्मा को मैं बदलने वाली।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001