मेरा जीवन बसर नहीं होता।
ग़ज़ल
2122/1212/22 (112)
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
आपसा हमसफ़र नहीं होता।1
धूप में ये सफ़र न था आसान,
रास्ते में शज़र नहीं होता।2
होते अपराध कितने बेकाबू,
डर पुलिस का अगर नहीं होता।3
आप उसके लिए दुआ करिए,
अब दवा का असर नहीं होता।4
हम कहीं तो भटक रहे होते,
एक तेरा जो दर नहीं होता।5
बच भी सकता था दौर ए तूफ़ां से,
गर चे तू बेख़बर नहीं होता।6
उसको धोके न मिलते प्रेमी से,
टुकड़े टुकड़े ज़िगर नहीं होता।7
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी