मेरा जिगर कई बार छोला है उसने
मेरा जिगर कई बार छोला है उसने
मेरी जिदंगी में ज़हर घोला है उसने
मैं बस, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी हूं
मुझसे कई बार झूठ बोला है उसने
कभी जो कहती थी, दर्द बांट लूंगी
अब दर्द के तराज़ू में तोला है उसने
कहीं मेरी कोई सांस बाकी तो नहीं
कई बारी नब्ज़ को टटोला है उसने
आजाद आज आके अपने हाथों से
मेरी मौत का रास्ता खोला है उसने
– कवि आजाद मंडौरी