मेरा चाँद
“मेरा चाँद”
करीब से दीदार का,
स्वप्न न अधूरा हो।
चाँद पे जाने का ख्वाब,
न जाने कब पूरा हो।।
वक्त ऐंसा गुजरा नही,
जो तुझे न घूरा हो।
कुछ और इंतजार कर,
ताकि मज़ा न अधूरा हो।।
होंसले बुलंद हैं,
हम तुझे पाएंगे।
फलसफा चले कितने,
हम तुझे मनाएंगे।।
मान मनौवल का,
मजा भूरा भूरा हो।।०।।
वक्त ऐंसा गुजरा नही,
जो तुझे न घूरा हो।
कुछ और इंतजार कर,
ताकि मज़ा न अधूरा हो।।
तू श्वेत श्याम है,
नही तू आम है।
चांदनी चमक तेरी,
तू भी एक धाम है।।
मिलन मार्ग मौज,
अब न सकुरा हो।।०।।
वक्त ऐंसा गुजरा नही,
जो तुझे न घूरा हो।
कुछ और इंतजार कर,
ताकि मज़ा न अधूरा हो।।
सूरज का प्रकाश है
बंधी जीवन आस है।
एक वो धधक रहा,
तू शीतल उल्लास है।।
निरत नब्ज पाने का,
विजय श्रम बहूरा हो।।०।।
वक्त ऐंसा गुजरा नही,
जो तुझे न घूरा हो।
कुछ और इंतजार कर,
ताकि मज़ा न अधूरा हो।।
तू कहे स्निग्ध हूँ,
मैं दूरियों से क्षुब्ध हूँ।
तुझे चाँद कहे कोई,
मैं तेरा प्रीत युद्ध हूँ।।
उछल कूद करूँ यूँ ही,
जैसे कोई लँगूरा हो।।०।।
वक्त ऐंसा गुजरा नही,
जो तुझे न घूरा हो।
कुछ और इंतजार कर,
ताकि मज़ा न अधूरा हो।।
कमलेश कुमार पटेल “अटल”
०७/०९/२०१९
समय प्रातः ९ घटि
शब्दार्थ:
फलसफा= ज्ञान, विद्या,
दर्शन शास्त्र, तर्क विद्या, knowledge
सकुरा= सकरा, संकीर्ण, narrow
बहूरा= निरंतर, लगातार, continue