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31 May 2021 · 1 min read

मेरा घर

****** मेरा घर ******
*******************

मेरा घर सब से प्यारा है,
सारे ही जग से न्यारा है।

कच्ची माटी से बना हुआ,
पक्के दिलों से सँवारा है।

सारे रिस्ते घर में बसते,
स्नेह का भरा पिटारा है।

लहरों सा ही लहराता है,
नीर रग रग भरा सारा है।

बड़े बडेरों से भरा हुआ,
बरगद सा मिले सहारा है।

छोटे छोटे फूलों से बच्चे,
शीत जल का फव्वारा है।

प्रातः शाम होती आरती,
स्वामी का लगता नारा है।

धरा पर दामिनी सा चमके,
गगन में चमकता तारा है।

मनसीरत घर का वासी है
खुले में निलय का द्वारा है।
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 246 Views
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