मेरा खास था
मेरा खास था पर दुनिया के लिए आम था
मेरी नजरों से दूर वो बड़ा बदनाम था
कितनी बार टूटा हूँ मन्नतें निभाने को
मैं कोई सितारा था या कोई गुलाम था
आँसू आँख से टपका हथेली पर जा गिरा
बंद मुठ्ठी में मोती वफ़ा का ईनाम था
टूटा जरूर था वादों के टूट जाने पर
बिखरना नहीं था मुझे ये खुद से कलाम था
वो होगा सिकंदर अपनी सल्तनत का मगर
मेरी गज़ल मेरी मंजिल मेरा मुकाम था
वो मौके का फायदा उठाते रहे ‘सागर’
मुहब्बत में हारना दिलवालों का काम था
सागर