मेरा कान्हा जो मुझसे जुदा हो गया
मेरा कान्हा जो मुझसे जुदा हो गया
द्वारिका में कन्हैया खुदा हो गया
नींद रातों को आंखों में आती नही
श्याम मुरली बजैया कहां खो गया
गोपिका आज पत्थर की मूरत बनी
राधे – “कृष्णा” दिवानी समंदर हुई
हार थक सी गई खुद ही खंजर हुई
देख उनकी दशा बृज ये बंजर हुई
याद बांके बिहारी की जाती नही
श्याम रास रचैया कहां खो गया
आज ईश्वर पत्थर की मूरत बना
आज प्राण को तारा जुदा हो गया