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10 Jul 2021 · 2 min read

मेरा एकांत समय

मेरा एकांत समय

मेरा एकांत समय वो समय जब मैं खुद के लिए कुछ करना चाहती हूँ ।भागमभाग से भरी इस जिंदगी में जब भी मुझे एकांत के दो पल भी मिल जाए तो मैं रचने लग जाती हूँ, कविताएँ जो ना जाने कब मेरे जीने का सबब और मेरे जीने का मकसद सा बन गई।बचपन में भी जब भी अकेलापन महसूस करती और आपने दिल की बात किसी से ना कह पाती तो रंग देती डायरी के पन्ने अपने अहसासों से।बस कविताएँ छोड़कर अकसर बाकी लिखे सब पन्ने फाड़ देती थी शायद यही सोचकर की गद्य तो सही नहीं लिखा।पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते शादी के बाद लिखने का कभी समय ही नहीं निकाल पाई।अगर लिखने की कोशिश भी की बहुत अधिक नहीं लिख पाई।

फिर सितम्बर 2019 में पहली बार राष्ट्रीय काव्य मंच मनंजलि से जुड़ी तब दोबारा काव्य लिखने की नई से प्रेरणा मिली।फिर काव्य मंजरी साहित्यिक मंच पर आकर पता चला की मुझमें भी एक साहित्यकार छुपा था,जिससे मैं भी अनभिज्ञ थी।यहाँ मुझे एक नई पहचान मिली,
लिखने के लिए रोज़ विषय मिला।अब भी बहुत अधिक तो नहीं लिख पाती हूँ क्यूँकि 1 बजे तक का समय ऑनलाइन क्लासिज़,फिर बेटे की पढ़ाई की तरफ ध्यान देना बाकी घर के काम कब चला जाता है पता ही नहीं चलता। परंतु फिर भी अपने समय से कुछ समय चुराने की कोशिश जरुर करती हूँ ।

इसके सिवाय अपने एकांत समय में मैं किताबें पढ़ती हूँ ।किताबें पढ़ने के शौक ने ही शादी के बाद एम• ए‌•(हिंदी),बी•एड• और एम•एड• भी करवाई।डाँस कुछ खास आता नहीं फिर भी करने का शौक है तो कभी-कभी यू टयूब पर स्टेप्स देख कर करने की कोशिश करती हूँ ।गाने सुनना, गुनगुनाना अच्छा लगता हैं।भजन कभी- कभी लिखने का प्रयास करती हूँ और कुछ भजन लिखे भी हैं। यू-टयूब से देखकर कुछ ना कुछ रेसिपिज़ भी कभी-2 बनाती हूँ ।आचार,चटनियाँ और ना जाने कितनी ही चीजें बनाना जो मुझे टेढ़ी खीर नजर आता था आखिर सीख ही गई हूँ। गाने सुनना, गुनगुनाना अच्छा लगता हैं।भजन कभी- कभी लिखने का प्रयास करती हूँ और कुछ भजन लिखे भी हैं ।

अपने समय से कुछ समय शान्ति की खोज के लिए अर्थात संपूर्ण एकांतवास में बिताती हूँ।जिसमें ध्यान की क्रियाओं द्वारा खुद में खुद की तलाश करने की कोशिश करती हूँ।उस प्रभु की जोत जो हम सबके भीतर ही है उसे महसूस करने का प्रयत्न करती हूँ। मानव शरीर मिला है तो उस परमपिता परमात्मा की कृपाओं का आभार व्यक्त करने का भरसक प्रयास करती हूँ।
आभारी हूँ उन सतगुरु की जिन्होनें ज्ञान रुपी बीज मेरे जीवन में अंकुरित किया है।जिसे मैं प्रेम रुपी पानी देकर भक्ति मार्ग से इसे हर रोज़ हरा-भरा देखना चाहती हूँ।आप जैसे गुणीजनों का व उस परमपिता परमात्मा का हाथ यूहीं सर पर बना रहे और मेरा जीवन आशीर्वचनों व शुभाशीषों से भरा रहे बस यही उस प्रभु से प्रार्थना है।

✍माधुरी शर्मा मधुर
अंबाला हरियाणा ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 401 Views
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