मेरा अरमान
आज बड़ा होने पर एक अरमान बाकी है,
जिंदगी की बनानी अभी एक पहचान बाकी है।
नहीं जीना चाहती मै इस झूठी,
दुनिया में झूठी पहचान बनाकर।
अभी तो दुनिया पर छा जाना बाकी है।
दुनिया में मंजिल बनाई है एक अपनी,
अभी उसकी एक राह बनाना बाकी है।
ये दुनिया मानती है हमें फिजूल,
अभी अपना बनाना वजूद बाकी है।
हमारा भी दुनिया में एक आशियां है,
ये अभी दुनिया को दिखाना बाकी है।
बेटियां होकर भी हम इस संसार सागर को,
पार कर सकती हैं।
ये अभी इस जहां को बताना बाकी है।