मेरा अंश
क्षितिज से सूर्य बन
तू उग रहा है पूर्व से
भू धरा को रंग दिया है
तूने गुलाबी लाल रंग से
उम्मीद लेकर बढ़ रहा आकार तेरा
गर्दिशों को राख कर उड़ा रहा है
ताप तेरा ।
तू अंश है मेरा संतान है संसार की
तू वंश है मेरा शमशीर हिंदुस्तान की
तुझको चमकना है लक्ष्य को समझना है
ना उम्मीद हो रहे जन सैलाब का
उम्मीद होना है ।
ये पथ नही आसान है
हर पग पर खड़े मायावी शैतान है
स्वार्थ की आहुति देकर
लालच को भस्म करना है
कष्ट लेकर दूसरों का दर्द सहना है
तुझे फौलाद होना है
तू अंश है मेरा
सन्तान है संसार की।